अखरोट (Walnut) के आयुर्वेदिक व औषधीय गुण | Ayurvedic and medicinal properties of Walnut


अखरोट (Walnut) के आयुर्वेदिक व औषधीय गुण

अखरोट हमारे जीवन में फल होने के साथ साथ औषधी का काम भी करता है अखरोट का रंग भूरा होता है। व इसका स्वाद फीका, मधुर, और स्वादिष्ट होता है। अखरोट का सेवन ब्रैस्ट कैंसर, कोलोन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करता है। अखरोट को ब्रेन फूड भी कहा जाता है। अखरोट में कई तरह के यौगिक मौजूद होते हैं जैसे मेलाटोनिन, विटामिन ई, कैरोटिनायड जो हमारे स्वास्थ्य को सही रखने में मदद करते हैं। ये यौगिक कैंसर, बुढ़ापे, सूजन और मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों से बचाते हैं। अखरोट में प्रचुर मात्रा में विटामिन ई मौजूद होता है। विटामिन ई शरीर को हानिकारक ऑक्सीजन से सुरक्षा देता है। विटामिन ई के अलावा इसमें और भी जरूरी विटामिन मौजूद होते हैं जैसे विटामिन बी कांप्लैक्स समूह के शीबोफ्लैविन, नियासिन, थाइमिन, पेंटोथेनिक एसिड, विटामिन बी 6 और फोलेट्स

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 (Walnut) अखरोट


विभिन्न भाषाओं में नाम :-

संस्कृत शैलभव, अक्षोर, कर्पपाल अक्षोट, अक्षोड, हिंदी अखरोट, बंगाली आक्र, मलयालम अक्रोड, मराठी अखरोड, अक्राड़, तेलगू अक्षोलमु, गुजराती आखोड, फारसी चर्तिगज, गौज, चारमग्न, गिर्दगां, अरबी जौज, अंग्रेजी वलनट, लैटिन जगलंस रेगिया

अखरोट के औषधीय प्रयोग :-

परिचय :अखरोट के पेड़ बहुत सुन्दर और सुगन्धित होते हैं, इसकी दो जातियां पाई जाती हैं। जंगली अखरोट 100 से 200 फीट तक ऊंचे, अपने आप उगते हैं। इसके फल का छिलका मोटा होता है। कृषिजन्य 40 से 90 फुट तक ऊंचा होता है और इसके फलों का छिलका पतला होता है। इसे कागजी अखरोट कहते हैं। इससे बन्दूकों के कुन्दे बनाये जाते हैं।
स्वरूप : पर्वतीय देशों में होने वाले पीलू को ही अखरोट कहते हैं। इसका नाम कर्पपाल भी है। इसके पेड़ अफगानिस्तान में बहुत होते हैं तथा फूल सफेद रंग के छोटे-छोटे और गुच्छेदार होते हैं। पत्ते गोल लम्बे और कुछ मोटे होते हैं तथा फल गोल-गोल मैनफल के समान परन्तु अत्यंत कड़े छिलके वाले होते हैं। इसकी मींगी मीठी बादाम के समान पुष्टकारक और मजेदार होती है।
स्वभाव : अखरोट गरम व खुष्क प्रकृति का होता है।
हानिकारक : अखरोट पित्त प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : अनार का पानी अखरोट के दोषों को दूर करता है।
तुलना : अखरोट की तुलना चिलगोजा और चिरौंजी से की जा सकती है। मात्रा : अखरोट का सेवन 10 ग्राम से 20 ग्राम तक की मात्रा में कर सकते हैं।
गुण :
अखरोट बहुत ही बलवर्धक है, हृदय को कोमल करता है, हृदय और मस्तिष्क को पुष्ट करके उत्साही बनाता है इसकी भुनी हुई गिरी सर्दी से उत्पन्न खांसी में लाभदायक है। यह वात, पित्त, टी.बी., हृदय रोग, रुधिर दोष वात, रक्त और जलन को नाश करता है।
अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। साथ ही इसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडैंट्स और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट का तेल कई रूपों में काम में लिया जाता है। इसका तेल खाना बनाने के अलावा दवाइयों और खुशबू के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
अखरोट में मोनोसैचुरेटिड फैट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे सिनोलिक एसिड, अल्फा फिनोलिक एसिड और एराकिडोनिक एसिड भी काफी मात्रा में मिलते हैं। अखरोट का नियमित सेवन खून में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है।
हर दिन 25 ग्राम अखरोट के सेवन से 90 फीसदी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी मिलते हैं। इससे रक्तचाप, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
अखरोट मिनरल्स का भी बेहतरीन स्रोत माना जाता है। जैसे मैंगनीज , कॉपर, पोटाशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम।प्रतिदिन मुट्ठी भर अखरोट आपके शरीर को मिनरल्स, विटामिन्स और प्रोटीन्स प्रदान करते हैं।
अखरोट के तेल में बेहतरीन खुशबू होती है। यह तेल त्वचा के सूखेपन को दूर करता है।

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विभिन्न रोगों में अखरोट से उपचार
1 टी.बी. (यक्ष्मा) के रोग में :- 3 अखरोट और 5 कली लहसुन पीसकर 1 चम्मच गाय के घी में भूनकर सेवन कराने से यक्ष्मा में लाभ होता है।
2 पथरी – साबुत (छिलके और गिरी सहित) अखरोट को कूट-छानकर 1 चम्मच सुबह-शाम ठंडे पानी में कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन कराने से पथरी मूत्र-मार्ग से निकल जाती है।
*अखरोट को छिलके समेत पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 चम्मच चूर्ण ठंडे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे रोग में पेड़ू का दर्द और पथरी ठीक होती है।
3 शैय्यामूत्र (बिस्तर पर पेशाब करना) :प्राय: कुछ बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने की शिकायत हो जाती है। ऐसे बाल रोगियों को 2 अखरोट और 20 किशमिश प्रतिदिन 2 सप्ताह तक सेवन करने से यह शिकायत दूर हो जाती है।
4 सफेद दाग :अखरोट के निरन्तर सेवन से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
5 फुन्सियां :यदि फुन्सियां अधिक निकलती हो तो 1 साल तक रोजाना प्रतिदिन सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से लाभ हो जाता है।
6 जी-मिचलाना :- अखरोट खाने से जी मिचलाने का कष्ट दूर हो जाता है।

7 मरोड़ :– 1 अखरोट को पानी के साथ पीसकर नाभि पर लेप करने से मरोड़ खत्म हो जाती है।
8 बच्चों के कृमि (पेट के कीड़े) :- *कुछ दिनों तक शाम को 2 अखरोट खिलाकर ऊपर से दूध पिलाने से बच्चों के पेट के कीडे़ मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
*अखरोट की छाल का काढ़ा 60 से 80 मिलीलीटर पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
9 मस्तिष्क शक्ति हेतु :- *अखरोट की गिरी को 25 से 50 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन खाने से मस्तिष्क शीघ्र ही सबल हो जाता है।
*अखरोट खाने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।
10 बूढ़ों की निर्बलता :- 8 अखरोट की गिरी और चार बादाम की गिरी और 10 मुनक्का को रोजाना सुबह के समय खाकर ऊपर से दूध पीने से वृद्धावस्था की निर्बलता दूर हो जाती है।
11 अपस्मार :- अखरोट की गिरी को निर्गुण्डी के रस में पीसकर अंजन और नस्य देने से लाभ होता है।
12 नेत्र ज्योति (आंखों की रोशनी) :- 2 अखरोट और 3 हरड़ की गुठली को जलाकर उनकी भस्म के साथ 4 कालीमिर्च को पीसकर अंजन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
13 कंठमाला :- अखरोट के पत्तों का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर पीने से व उसी काढ़े से गांठों को धोने से कंठमाला मिटती है।
14 दांतों के लिए :- अखरोट की छाल को मुंह में रखकर चबाने से दांत स्वच्छ होते हैं। अखरोट के छिलकों की भस्म से मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।
15 स्तन में दूध की वृद्धि के लिए :- गेहूं की सूजी एक ग्राम, अखरोट के पत्ते 10 ग्राम को एक साथ पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
16 खांसी (कास) :- *अखरोट गिरी को भूनकर चबाने से लाभ होता है।
*छिलके सहित अखरोट को आग में डालकर राख बना लें। इस राख की एक ग्राम मात्रा को पांच ग्राम शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।
17 हैजा :- हैजे में जब शरीर में बाइटें चलने लगती हैं या सर्दी में शरीर ऐंठता हो तो अखरोट के तेल से मालिश करनी चाहिए।
18 विरेचन (पेट साफ करना) :- अखरोट के तेल को 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह देने से मल मुलायम होकर बाहर निकल जाता है।
19 अर्श (बवासीर) होने पर :- *वादी बवासीर में अखरोट के तेल की पिचकारी को गुदा में लगाने से सूजन कम होकर पीड़ा मिट जाती है।
*अखरोट के छिलके की राख 2 से 3 ग्राम को किसी दस्तावर औषधि के साथ सुबह, दोपहर तथा शाम को खिलाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है।
20 आर्त्तव जनन (मासिक-धर्म को लाना) :- *मासिक-धर्म की रुकावट में अखरोट के छिलके का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाने से लाभ होता है।
*इसके फल के 10 से 20 ग्राम छिलकों को एक किलो पानी में पकायें, जब यह पानी आठवां हिस्सा शेष बचे तो इसे सुबह-शाम पिलाने से दस्त साफ हो जाता है।



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Milan Tomic

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2 comments:

  1. अखरोट के फायदे सेहत में सुधार लाने के लिए बहुत ही गुणकारी होते हैं.

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