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अलसी के तेल
के फायदे और नुकसान
भारत में फ्लेक्स सीड अलसी का तेल के नाम से जाना जाता
है दुनिया में ओमेगा 3 फैटी एसिड का सबसे समृद्ध वनस्पति स्रोत है। अलसी का तेल शरीर और त्वचा के लिए कई कारणों से
लाभदायक है। अलसी के तेल का प्रयोग खाने में, त्वचा पर लगाने में, बालों में एवं अन्य कई घरेलु कार्यों के लिए किया
जाता है। अलसी का तेल कई पोषक तत्वों से मिलकर बनता है।
इसमें ऐसे गुण होते हैं, जो शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाने और त्वचा में चमक
लाते हैं। फ्लेक्ससीड आयल अल्फा लिनोलेनिक एसिड से भरपूर है एक अनिवार्य फैटी एसिड
से भरपूर है जो दिल की बीमारियों आंतो के शोध गठिया और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
के लिए लाभदायक है फ्लेक्सीड में लिगनेन्स नामक
रसायनों का समूह मौजूद होता है जो कैंसर की रोकथाम
में मुख्य भूमिका निभाते हैं अधिकांश अनाजों की तुलना में फ्लेक्स सीड आयल
लिगनेन्स से100, गुना अधिक समृद्ध होता है इसमें ओमेगा 6 और ओमेगा 3 अनिवार्य फैटी एसिड
विटामिन पोटेशियम लेसिथिन मैग्नीशियम फाइबर और प्रोटीन जिंक मौजूद होते हैं और यह
मछली के तेल के मुकाबले लगभग 50% अधिक ओमेगा 3 फैटी एसिड भी मुहैया
कराता है।
अलसी के तेल
के फायदे और नुकसान
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अलसी तेल के फायदे
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फ्लेक्ससीड
ओमेगा 3 और ओमेगा 6 का समृद्ध स्रोत है
जिसमें कोलेस्ट्राल और रक्तचाप को घटाने का गुण है यह रक्त वाहिकाओं में खून का
थक्का बनने से रोकने में मदद करता है
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इसमें
मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड और लिगनेन महत्वपूर्ण को काम करता है और प्रतिरोधक
तंत्र को सही से काम करने में मदद करता है यह सभी आयु की महिलाओं के लिए फायदेमंद
है क्योंकि यह मासिक धर्म को सामान्य और शुभम बनाता
है
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फ्लेक्स
सीड दृष्टि बढ़ाने और मेहनत के बाद थकी हुई मांस पेशियों को जल्दी तरोताजा बनाने
में भी सहायक है। अध्ययनों से पता चला है कि अलसी के तेल का नियमित
सेवन आंतों के भीतर की परत में सूजन को कम कर देता है।
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अलसी के
तेल में मौजूद ओमेगा -3 फैटी एसिड आर्थराइटिस में सुबह के समय घुटनों या
जोड़ों में होने वाली कठोरता को कम करने में मदद कर सकता है। यह सूजन से राहत में
भी मदद कर सकता है। इसमें मौजूद इस आवश्यक फैटी एसिड से ओस्टियोआर्थराइटिस को ठीक
करने में भी मदद मिल सकती है। इसके अलावा अगर आप हर दिन एक चम्मच अलसी के बीज का
सेवन करते हैं तो आपको पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों से राहत प्राप्त करने
में मदद मिल सकती है।
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इसमें
मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को नियमित रखने में सहायक होता है। फाइबर मल को बल्क में
मदद करता है और इसे पाचन तंत्र के माध्यम से आगे बढ़ाता जिससे कब्ज को रोका जा सकता
है। अपने आहार में पर्याप्त फाइबर को बनाए रखना भी कोलेस्ट्रॉल को सामान्य रखने के
लिए महत्वपूर्ण है।
अलसी तेल दिल (ह्रदय) के लिए फायदेमंद है
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ह्रदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी अलसी के तेल का उपयोग किया जाता
है. इसमें पाया जाने वाला मोनोअनसैचुरेटेड, पॉलिअनसैचुरेटेड वसा के साथ ही ओमेगा-3 और फैटी एसिड ह्रदय के लिए
उपयोगी है. अलसी,
धमनियों
में पट्टिका के निर्माण और ह्रदय रोग और धमनियों के सुजन को कम करने में भी मददगार
है.
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साल 2010 में हुए
एक अध्ययन में ये पाया गया है कि हर रोज 100 मिली
ग्राम अलसी के बीज खाने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है।
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यदि आप अलसी के बीज का
सेवन नहीं करना चाहते हैं, तो
आप अलसी के तेल फ्लेक्स आयल कैप्सूल का उपयोग कर सकते हैं। अलसी
के तेल को आप खाने के साथ ले सकते हैं या फिर किसी अन्य प्राकृतिक औषधि के साथ ले
सकते हैं।कई दिल के मरीज को भी अलसी का तेल का उपयोग करने को कहा जाता है।
How to use flaxseed oil |
अलसी तेल के फायदे आँखों के लिए
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हजारों
गुण वाली अलसी आंखों के लिए भी फायदेमंद होती है। जिन लोगों को आंखों में सूखेपन
की शिकायत होती है, उन्हें अलसी के तेल का प्रयोग खाने में करना
चाहिए। इससे आंखों को काफी फायदा पहुंचता है।
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आपने सुना होगा कि आँखों से सम्बन्धी समस्याओं के लिए
डॉक्टर अकसर मछली का तेल की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि मछली में पर्याप्त ओमेगा
फैटी एसिड होता है, जो
आँखों के लिए बहुत फायदेमंद है। मछली की तरह ही अलसी में भी पर्याप्त मात्रा में
ओमेगा फैटी एसिड होता है।
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कई शोधों में यह साबित हुआ है कि दिन में सिर्फ 1 या दो ग्राम ओमेगा
सप्लीमेंट लेनें से आँखों में सूखेपन की समस्या से निजात पाया जा सकता है। ऐसे में
ओमेगा सप्लीमेंट के लिए अलसी से बेहतर उपाय और क्या हो सकता है?
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आँखों के लिए आप या तो आप अलसी के कैप्सूल ले सकते हैं, या सीधे अलसी के बीज के रूप
में सेवन कर सकते हैं।
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इसके अलावा आप अलसी तेल को आँखों में ड्राप की तरह भी डाल सकते हैं।
अलसी का तेल |
कैंसर के उपचार में:- कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों के उपचार में भी अलसी मुख्य भूमिका निभाता है. इसमें पाया जाने वाला लिग्निन नामक तत्व हारमोन के उपापचय और ट्यूमर कोशिकाओं के प्रसार के लिए जिम्मेदार एंजाइमों को अवरुद्ध करके स्तन कैंसर से रक्षा प्रदान करता है
विषाक्त
पदार्थों के उन्मूलन में:- हमारे शरीर में कई तरह के
विषाक्त पदार्थ निर्मित होते रहते हैं. इनका निकलना बहुत आवश्यक होता है. अलसी में
मौजूद ओमेगा-3
फैटी एसिड
शामिल है जो कि इन अपशिष्टों के निकासी का कम करता है. इसके अलावा इसमें घुलनशील
और अघुलनशील फाइबर भी विषाक्त पदार्थों के उन्मूलन में सहायक है.
शुगर के उपचार
में:- अलसी के सेवन से टाइप-2 के शुगर के मरीज अपने रक्त
शर्करा के स्तर में सुधार ला सकते हैं. इसमें पाया जाने वाला अल्फ़ा लिनोलेनिक एसिड
प्रोटीन और फाइबर को भी नियंत्रित करने का काम करते हैं.
वजन कम करने
में:- वजन कम करने के लिए अलसी के बीज
में पाया जाने वाला ओमेगा-3,
फाइबर, फैटी एसिड, और लिगनिन वजन कम करने में सहायक
होता है. इसमें विटामिन बी,
मैग्नीशियम, पोटेशियम, और जस्ता भी पाया जाता है जो कि
वजन घटाने में समर्थ हैं.
बालों के लिए:- बालों को झड़ने से बचाने के लिए अलसी में मौजूद विटामिन ई मददगार साबित होता
है. ये बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाने का काम भी करता है. अलसी के तेल से आप अपने
बालों को घुंघराले भी बना सकते हैं.
रजनोवृत्ति
में:- राजनोवृत्ति के दौरान महिलाओं को
होने वाली तमाम समस्याओं से बचाने में भी अलसी का तेल प्रमुख भूमिका निभाता है.
इसमें मासिक धर्म चक्र को बनाए रखने और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने की भी क्षमता होती
है.
अलसी का तेल पाचन में सुधार के लिए फायदेमंद
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अलसी में मौजूद फाइबर हमारे पाचन
तंत्र के लिए आवश्यक होता है. आँतों के माध्यम से भोजन को जाने में सहायता करने के
साथ ही जठरांत्र को भी स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं. जब भी इसका सेवन करें
पानी भरपूर मात्रा में पिएं
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यदि आपका पाचन ठीक से नहीं हो पा रहा है, तो आप खाने में अन्य तेल की
जगह फ्लेक्स आयल कैप्सूल अलसी का तेल बना हसा हैं उपयोग में ला सकते हैं।
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अलसी के तेल के सेवन से पेट संबंधी बीमारियां जैसे-
डायरिया, कब्ज, सूजन में राहत मिलती है।
वैसे भी कहते हैं कि अगर आपका पेट सही है, तो आपको कोई बीमारी नहीं हो
सकती। अलसी के तेल को नाश्ते में खाने की सलाह दी
जाती है। अलसी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होता है।
Flaxseed oil side effects |
अलसी के तेल
के नुकसान
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शुगर के उपचार के समय इसका इस्तेमाल करने पर अपने रक्त शर्करा के स्तर का
जाँच कराते रहें.
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अधिक मात्रा में इसके सेवन से बचें. इससे एलर्जी हो सकता है.
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गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए.
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किसी चिकित्सक के परामर्श से ही इसकी औषधीय इस्तेमाल करना चाहिए.
टिप्पणियां:- डिस्क्लेमर: ऊपर बताई गईं बातें जेनरिक जानकारी
है. यह क्वालिफाइड डॉक्टर की राय का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए
हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें. DKH न्यूज़ इस जानकारी की जिम्मेदारी नहीं
लेता है.
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